Friday, 3 May 2013

वतन की आबरू खतरे में है,
होशियार हो जाओ...
हमारे इम्तहां का वक्त है,
तैयार हो जाओ...
हमारी सरहदों पर खून
बहता है,
जवानों का...
हुआ जाता है दिल
छलनी हिमालय
की चट्टानों का...
उठो रुख फेर दो दुश्मन
की तोपों के दहानों का...
वतन की सरहदों पर
आहिनी दीवार हो जाओ...
जयहिंद।

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