न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका :उपजा विवाद एवं कोलिजियम व्यवस्था की प्रासंगिकता।
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न्याय पालिका बनाम कार्यपालिका के मध्य विवाद एक चर्चित विषय बन गया है।इस विषय को हम निम्न प्रकार से देख सकते है-
1.हाल ही में चर्चित क्यों
2.क्या है कोलिजियम व्यवस्था।
3.क्या थी पूर्व व्यवस्था
4.लाभ
5.क्या है समस्या
6.क्या प्रयास किये गए
7.सुझाव
1.हाल ही में चर्चित क्यों
हाल में पीटीआई के अध्यक्ष काटजू द्वारा मद्रास कोर्ट के पूर्व जज पर लगाये गए आरोप ,गोपाल सुब्रमण स्वामी को सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के जज पद पर न चुने जाना तथा चीफ जस्टिस द्वारा इसकी कठोर आलोचना के मध्यनजर न्याय पालिका बनाम कार्यपालिका के मध्य विवाद महत्वपूर्ण विषय बन गया है।
2.क्या है कोलिजियम व्यवस्था।
*कोलिजयम व्यवस्था के अनुसार SC तथा HC के जज का के नाम की सिफारिश SC के पैनल द्वारा ही की जायेगी।
*सरकार अगर किसी जज की प्रस्तावित नियुक्ति की फाइल वापस सुप्रीम कोर्ट कोलिजियम को भेज दे तो कोलिजियम सरकार को पुननर्विचार की अपील भेज सकता है और ऐसा होने पर सरकार उस सिफारिश को मानने पर बाध्य हो जाती है।
2.क्या थी पूर्व व्यवस्था -
*1993 से पूर्व नियुक्ति सम्बन्धित प्रक्रिया मंत्री समूह के पास थी जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा 5 वरिष्ठ जजों के कोलिजियम को सोंपा गया।
3.लाभ-
*इससे प्रमुख लाभ यह है कि न्यायपालिका में राजनितिक हस्तक्षेप कम होगा।
*न्याय पालिका का राजनीतिकरण कम होगा।
*न्यायिक निर्णयों में पारदर्शिता आएगी।
4.समस्या -
*हाल ही उपजे विवाद से यह स्पष्ट हो गया कि यह प्रक्रिया भी राजनीतिक दबाब से परे नहीं है।
*कोलिजियम में यदपि जजों का पैनल होता है परन्तु यहाँ होता वही है जो चीफ जस्टिस चाहते है।
*यह व्यवस्था सविंधान से भी उपर हो गयी ।
*लॉ कमीशन तथा पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग समिति ने भी इस सिस्टम को दोषपूर्ण बताया।
* ऐसे दागदार नामों की भी सिफरोश कर दी जाती है जिसे पुन लोटाया गया।
*न्यायपालिका में शिकायत ऒर उसके निपटारे की पारदर्शी तन्त्र का आभाव प्रमुख समस्या है।
*अदालत के पास कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का पॉवर भी प्रमुख बाधा के रूप में कार्य करता है।
5.क्या प्रयास किये गए -
*गत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट एवं उच्च न्यायलयों में जजों की नियुक्ति के लिए 'judicial appointment commission bill' तैयार किया था।
*इसके लिए सविधान संसोधन की आवश्यकता थी यह विधेयक राज्यसभा में दिसम्बर 2013 में पास हो गया ।
*इसे स्टैंडिंग समिति को सोंपा गया।
*यह 120 वां साविधान संसोधन विधेयक था ।
*परन्तु 15 वीं लोक सभा के भंग होने पर विधेयक तो लेप्स है तथा कमीशन का गठन राज्यसभा में लंबित है।
6.सुझाव-
*रास्ट्रीय न्यायिक आयोग की व्यवस्था की जाये।
*नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी हो।
*रिक्त पद भरे जाय।
*राजनेतिक धकल बंद हो।
*आन्तरिक शुद्विकरण के प्रयास हो।
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न्याय पालिका बनाम कार्यपालिका के मध्य विवाद एक चर्चित विषय बन गया है।इस विषय को हम निम्न प्रकार से देख सकते है-
1.हाल ही में चर्चित क्यों
2.क्या है कोलिजियम व्यवस्था।
3.क्या थी पूर्व व्यवस्था
4.लाभ
5.क्या है समस्या
6.क्या प्रयास किये गए
7.सुझाव
1.हाल ही में चर्चित क्यों
हाल में पीटीआई के अध्यक्ष काटजू द्वारा मद्रास कोर्ट के पूर्व जज पर लगाये गए आरोप ,गोपाल सुब्रमण स्वामी को सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के जज पद पर न चुने जाना तथा चीफ जस्टिस द्वारा इसकी कठोर आलोचना के मध्यनजर न्याय पालिका बनाम कार्यपालिका के मध्य विवाद महत्वपूर्ण विषय बन गया है।
2.क्या है कोलिजियम व्यवस्था।
*कोलिजयम व्यवस्था के अनुसार SC तथा HC के जज का के नाम की सिफारिश SC के पैनल द्वारा ही की जायेगी।
*सरकार अगर किसी जज की प्रस्तावित नियुक्ति की फाइल वापस सुप्रीम कोर्ट कोलिजियम को भेज दे तो कोलिजियम सरकार को पुननर्विचार की अपील भेज सकता है और ऐसा होने पर सरकार उस सिफारिश को मानने पर बाध्य हो जाती है।
2.क्या थी पूर्व व्यवस्था -
*1993 से पूर्व नियुक्ति सम्बन्धित प्रक्रिया मंत्री समूह के पास थी जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा 5 वरिष्ठ जजों के कोलिजियम को सोंपा गया।
3.लाभ-
*इससे प्रमुख लाभ यह है कि न्यायपालिका में राजनितिक हस्तक्षेप कम होगा।
*न्याय पालिका का राजनीतिकरण कम होगा।
*न्यायिक निर्णयों में पारदर्शिता आएगी।
4.समस्या -
*हाल ही उपजे विवाद से यह स्पष्ट हो गया कि यह प्रक्रिया भी राजनीतिक दबाब से परे नहीं है।
*कोलिजियम में यदपि जजों का पैनल होता है परन्तु यहाँ होता वही है जो चीफ जस्टिस चाहते है।
*यह व्यवस्था सविंधान से भी उपर हो गयी ।
*लॉ कमीशन तथा पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग समिति ने भी इस सिस्टम को दोषपूर्ण बताया।
* ऐसे दागदार नामों की भी सिफरोश कर दी जाती है जिसे पुन लोटाया गया।
*न्यायपालिका में शिकायत ऒर उसके निपटारे की पारदर्शी तन्त्र का आभाव प्रमुख समस्या है।
*अदालत के पास कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का पॉवर भी प्रमुख बाधा के रूप में कार्य करता है।
5.क्या प्रयास किये गए -
*गत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट एवं उच्च न्यायलयों में जजों की नियुक्ति के लिए 'judicial appointment commission bill' तैयार किया था।
*इसके लिए सविधान संसोधन की आवश्यकता थी यह विधेयक राज्यसभा में दिसम्बर 2013 में पास हो गया ।
*इसे स्टैंडिंग समिति को सोंपा गया।
*यह 120 वां साविधान संसोधन विधेयक था ।
*परन्तु 15 वीं लोक सभा के भंग होने पर विधेयक तो लेप्स है तथा कमीशन का गठन राज्यसभा में लंबित है।
6.सुझाव-
*रास्ट्रीय न्यायिक आयोग की व्यवस्था की जाये।
*नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी हो।
*रिक्त पद भरे जाय।
*राजनेतिक धकल बंद हो।
*आन्तरिक शुद्विकरण के प्रयास हो।
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