भारत और चीन के रिश्ते ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. आजादी के बाद 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' के नारे से स्टैपल वीज़ा पर उपजे विवाद तक.
इस बीच दोनों मुल्कों की एक जंग हुई और बातचीत की मेज पर अक्साई चीन समेत अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे भी आते रहे.
लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की खबरों से लेकर दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन का सवाल अखबारों की सुर्खियां बटोरता रहा है.
लेकिन अब नई सरकार विदेश नीति के मोर्चे पर सक्रिय दिख रही है और पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को पटरी पर लाने की पहल ज़मीन पर देखी जा सकती है.
इन्हीं कोशिशों की ताजा कड़ी है शी जिनपिंग का भारत दौरा.
और मोदी और शी जिनपिंग की दोस्ती रूमानी हो, इसके लिए सात बाहरी कारणों को समझना जरूरी है.
जापान से मुकाबला और अहमदाबाद
जापान की सौ कंपनियों ने भारत में निवेश करने की योजना बना रखी है. उनमें से 50 ने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिए हैं.
जापान के कारोबारी संगठन 'जेट्रो' ने अहमदाबाद में पिछले साल अपना दफ्तर खोला है.
यह जापान की चीन से प्रतिस्पर्द्धा है जिसकी वजह से शी जिनपिंग ने भारत दौरे की शुरुआत के लिए अहमदाबाद को चुना है न कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किसी लगाव की वजह से.
जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने मुंबई को अहमदाबाद से जोड़ने वाले रेल लिंक के लिए बुलेट ट्रेन देने पर सहमति भी दी है.
भारत पर आबे के असर को चुनौती
चीन ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वह इस मुद्दे पर किस हद तक जा सकता है.
चीन के एक मंत्री ने हाल ही में भारत को एक नाभिकीय संयंत्र बनाने में मदद की पेशकश की थी.
इस पेशकश के पीछे विचार जापान के तरफ से आने वाले ऐसे किसी प्रस्ताव को बेअसर करना था.
चीन भी भारत को 100 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता देना चाहता है.
यह रकम हाल ही में जापान दौरे पर मोदी को आबे की ओर से मिली पेशकश की तकरीबन तीन गुनी है.पाकिस्तान में अस्थिर सरकार
चीन की सीमा में अतिक्रमण करने वाले इस्लामी चरमपंथियों से निपटने का सवाल हो या फिर भारत पर दबाव बनाने की जरूरत हो, इन दो मुद्दों पर चीन हमेशा से पाकिस्तान पर निर्भर रहा है.
लेकिन हाल के समय में पाकिस्तान की अहमियत चीन की नज़र में कम हुई है.
नवाज़ शरीफ की सरकार विपक्ष के विरोध की वजह से अस्थिर नजर आ रही है.
नवाज़ शरीफ चरमपंथियों पर थोड़ा असर रखते हैं जो उन पर लगाम रखने के लिए जरूरी है.
हिंद महासागर से जुड़ने की चीन की चाह
श्रीलंका और मालदीव में चीन की मौजूदगी भारत पर दबाव डाल रही है. दोनों ही देशों ने चीन के मैरीटाइम सिल्क रूट में शामिल होने पर सहमति दी है. भारत इससे सहमत नहीं है.
माले एयरपोर्ट की कमान चीन के हाथ में है. मालदीव शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन में शामिल होना चाहता है जिसमें भारत और पाकिस्तान एक प्रेक्षक की भूमिका में हैं न कि सदस्य की हैसियत से.
माले ने सार्क में चीन को अपनी भूमिका बढ़ाने में मदद देने पर सहमति दी है. बदले में चीन ने मालदीव के आंतरिक मामलों में दखल न देने का वादा किया है, जाहिर है इसका सरोकार भारत से है.
श्रीलंका और मालदीव, दोनों ही हिंद महासागर में चीन को रास्ता देने के सवाल पर संजीदा हैं.
वियतनाम के साथ भारत का सौदा, चीन की चिंता
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की हाल की हनोई यात्रा में चौंका देने वाला समझौता हुआ है.
भारत 'साउथ चाइना सी' में तेल खनन के लिए वियतनामी कंपनी के साथ उतरेगा.
ऐसे ही एक सौदे का चीन ने ज़बरदस्त विरोध किया था और दो साल पहले वियतनाम ने अपने पांव वापस खींच लिए.
चीन और वियतनाम दोनों ही समुद्र के एक हिस्से पर दावा करते हैं. इस नए समझौते ने चीन पर ज़बरदस्त दबाव डाला है और इस विवाद में वियतनाम का पक्ष मजबूत कर दिया है.
यह पहली बार है कि भारत ने चीन से निपटने के लिए किसी और देश का इस्तेमाल किया है.
पर्यावरण और डब्ल्यूटीओ के सवाल पर पश्चिमी देशों का दबाव
पर्यावरण में बदलाव और अंतरराष्ट्रीय कारोबारी मुद्दों पर भारत और चीन ने एक साथ काम करके बड़ी कामयाबी के साथ पश्चिमी देशों को किनारे कर दिया था.
उनके साथ आने से विकासशील देशों की आवाज़ भी बुलंद हुई.
विश्व व्यापार संगठन में भारत को उस वक्त एक बड़ा झटका लगा जब उसने एक प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया लेकिन इस मुद्दे पर चीन ने उसका साथ नहीं दिया.
लेकिन इन मुद्दों पर अलग प्राथमिकताओं वाले पश्चिमी देशों से निपटने के लिए दोनों ही देशों को एक दूसरे की जरूरत है.
ब्रिक्स और एससीओ
ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन 'ब्रिक्स' में चीन एक नेता के तौर पर उभरा है.
उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों को अमरीकी प्रभाव से दूर रखने और अपना असर बढ़ाने के मद्देनज़र ब्रिक्स चीन की जरूरतों पर खरा उतरता है.
पांच देशों के क्लब के अघोषित नेता की अपनी हैसियत बरकार रखने और ब्रिक्स बैंक की योजना को कामयाब करने के लिए शी जिनपिंग को मोदी की मदद की जरूरत होगी
इस बीच दोनों मुल्कों की एक जंग हुई और बातचीत की मेज पर अक्साई चीन समेत अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे भी आते रहे.
लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की खबरों से लेकर दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन का सवाल अखबारों की सुर्खियां बटोरता रहा है.
लेकिन अब नई सरकार विदेश नीति के मोर्चे पर सक्रिय दिख रही है और पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को पटरी पर लाने की पहल ज़मीन पर देखी जा सकती है.
इन्हीं कोशिशों की ताजा कड़ी है शी जिनपिंग का भारत दौरा.
और मोदी और शी जिनपिंग की दोस्ती रूमानी हो, इसके लिए सात बाहरी कारणों को समझना जरूरी है.
जापान से मुकाबला और अहमदाबाद
जापान की सौ कंपनियों ने भारत में निवेश करने की योजना बना रखी है. उनमें से 50 ने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिए हैं.
जापान के कारोबारी संगठन 'जेट्रो' ने अहमदाबाद में पिछले साल अपना दफ्तर खोला है.
यह जापान की चीन से प्रतिस्पर्द्धा है जिसकी वजह से शी जिनपिंग ने भारत दौरे की शुरुआत के लिए अहमदाबाद को चुना है न कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किसी लगाव की वजह से.
जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे ने मुंबई को अहमदाबाद से जोड़ने वाले रेल लिंक के लिए बुलेट ट्रेन देने पर सहमति भी दी है.
भारत पर आबे के असर को चुनौती
चीन ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वह इस मुद्दे पर किस हद तक जा सकता है.
चीन के एक मंत्री ने हाल ही में भारत को एक नाभिकीय संयंत्र बनाने में मदद की पेशकश की थी.
इस पेशकश के पीछे विचार जापान के तरफ से आने वाले ऐसे किसी प्रस्ताव को बेअसर करना था.
चीन भी भारत को 100 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता देना चाहता है.
यह रकम हाल ही में जापान दौरे पर मोदी को आबे की ओर से मिली पेशकश की तकरीबन तीन गुनी है.पाकिस्तान में अस्थिर सरकार
चीन की सीमा में अतिक्रमण करने वाले इस्लामी चरमपंथियों से निपटने का सवाल हो या फिर भारत पर दबाव बनाने की जरूरत हो, इन दो मुद्दों पर चीन हमेशा से पाकिस्तान पर निर्भर रहा है.
लेकिन हाल के समय में पाकिस्तान की अहमियत चीन की नज़र में कम हुई है.
नवाज़ शरीफ की सरकार विपक्ष के विरोध की वजह से अस्थिर नजर आ रही है.
नवाज़ शरीफ चरमपंथियों पर थोड़ा असर रखते हैं जो उन पर लगाम रखने के लिए जरूरी है.
हिंद महासागर से जुड़ने की चीन की चाह
श्रीलंका और मालदीव में चीन की मौजूदगी भारत पर दबाव डाल रही है. दोनों ही देशों ने चीन के मैरीटाइम सिल्क रूट में शामिल होने पर सहमति दी है. भारत इससे सहमत नहीं है.
माले एयरपोर्ट की कमान चीन के हाथ में है. मालदीव शंघाई कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन में शामिल होना चाहता है जिसमें भारत और पाकिस्तान एक प्रेक्षक की भूमिका में हैं न कि सदस्य की हैसियत से.
माले ने सार्क में चीन को अपनी भूमिका बढ़ाने में मदद देने पर सहमति दी है. बदले में चीन ने मालदीव के आंतरिक मामलों में दखल न देने का वादा किया है, जाहिर है इसका सरोकार भारत से है.
श्रीलंका और मालदीव, दोनों ही हिंद महासागर में चीन को रास्ता देने के सवाल पर संजीदा हैं.
वियतनाम के साथ भारत का सौदा, चीन की चिंता
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की हाल की हनोई यात्रा में चौंका देने वाला समझौता हुआ है.
भारत 'साउथ चाइना सी' में तेल खनन के लिए वियतनामी कंपनी के साथ उतरेगा.
ऐसे ही एक सौदे का चीन ने ज़बरदस्त विरोध किया था और दो साल पहले वियतनाम ने अपने पांव वापस खींच लिए.
चीन और वियतनाम दोनों ही समुद्र के एक हिस्से पर दावा करते हैं. इस नए समझौते ने चीन पर ज़बरदस्त दबाव डाला है और इस विवाद में वियतनाम का पक्ष मजबूत कर दिया है.
यह पहली बार है कि भारत ने चीन से निपटने के लिए किसी और देश का इस्तेमाल किया है.
पर्यावरण और डब्ल्यूटीओ के सवाल पर पश्चिमी देशों का दबाव
पर्यावरण में बदलाव और अंतरराष्ट्रीय कारोबारी मुद्दों पर भारत और चीन ने एक साथ काम करके बड़ी कामयाबी के साथ पश्चिमी देशों को किनारे कर दिया था.
उनके साथ आने से विकासशील देशों की आवाज़ भी बुलंद हुई.
विश्व व्यापार संगठन में भारत को उस वक्त एक बड़ा झटका लगा जब उसने एक प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया लेकिन इस मुद्दे पर चीन ने उसका साथ नहीं दिया.
लेकिन इन मुद्दों पर अलग प्राथमिकताओं वाले पश्चिमी देशों से निपटने के लिए दोनों ही देशों को एक दूसरे की जरूरत है.
ब्रिक्स और एससीओ
ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन 'ब्रिक्स' में चीन एक नेता के तौर पर उभरा है.
उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों को अमरीकी प्रभाव से दूर रखने और अपना असर बढ़ाने के मद्देनज़र ब्रिक्स चीन की जरूरतों पर खरा उतरता है.
पांच देशों के क्लब के अघोषित नेता की अपनी हैसियत बरकार रखने और ब्रिक्स बैंक की योजना को कामयाब करने के लिए शी जिनपिंग को मोदी की मदद की जरूरत होगी
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