Thursday, 6 November 2014

इराक संघर्ष तथा भारत पर प्रभाव

इराक संघर्ष तथा भारत पर प्रभाव

हाल ही में इराक में उत्पन्न हुवा संघर्ष IR तथा करंट इशू के संदर्भ में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा एवं साक्षात्कार हेतु महत्वपूर्ण मुद्दा है।
इसे निम्न प्रकार से समझ सकते है-
1.क्या है विवाद
2.ISIS क्या है 
3.अन्य पडोसी देशों का रुख
3.अमेरिका का रुख
4.भारत पर प्रभाव

1.क्या है विवाद-

इराक मूलत: शिया मुसलमानों के बाहुल्य वाला एक देश है। इस पर सदाम हुसैन के समय सुन्नियों का शासन रहा था। इराक में अमेरिकी हस्तक्षेप के पश्चात तथा सदाम हुसैन के शासन के अंत के पश्चात शिया समर्थित सरकार का गठन हुवा हैं। अमेरिकी सेना के घर वापसी के पश्चात से सुन्नियों पुन: अपना अधिकार प्राप्त करने की कोशिश में है तथा इसका ही परिणाम वर्तमान संघर्ष है।

2.ISIS क्या है--

Islamic state of iraq and syria ,यह सुन्नी मुसलमानों का एक संगठन है।जो की इराक पर पुन : सुन्नियों के अधिकार को लेकर संघर्ष कर रहा है। यह एक प्रकार से अलकायदा का ही नया सवरूप है। इसका प्रभाव इराक और सीरिया दोनों देशों में हैं।यह शरियत कानून को लागू करना चाहता है।

3.अन्य पडोसी देशों का रुख -

ईरान ,इराक तथा सीरिया शिया बाहुल्य वाले देश है। इनमें ईरान की स्थिति सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यदि ईरान भविष्य में परमाणु बम बनाने की क्षमता हासिल करता है तो उससे न केवल अमेरिका वरन आस पड़ोस के सुन्नी बाहुल्य वाले देशों को भी खतरा उत्पन्न हो जायेगा। सुन्नी बाहुल्य वाले देश एक मजबूत शिया बाहुल्य वाले देश का स्वीकार नहीं कर सकते ।यही कारण है की सऊदी अरब जैसे देश ISIS को वित्तीय रूप से मदद पहुंचा रहे है ताकि इराक, ईरान तथा सीरिया के रूप में एक मजबूत शिया बाहुल्य वाला गठजोड़ न बन जाये।

4.अमेरिका का रुख-

वर्तमान इराक संघर्ष ने अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों को अजीब दुविधा की स्थिति में डाल दिया।
ISIS को अरब देश सपोर्ट कर रहे है जो कि अमेरिका के भूतपूर्व सहयोगी रहे है।
ईरान इस मुद्दे पर अमेरिका का सहयोग करने की बात कर रहा है जो कि अमेरिका का कट्टर विरोधी रहा है।
अमेरिका ने यद्दपि दूर तक मार करने वाले अपने विमान वाहक पोत इराक की तरफ भेजे है तथा विरोधियों पर हवाई हमले की भी योजना बना सकता है। परन्तु वह अपनी थल सेना का सीधी तॊर पर प्रयोग करने में हिचकिचा रहा है।
अमेरिका का स्वार्थ उन तेल क्षेत्रों तक सीमित है जो कि विरोधियों के कब्जे में आ गए।

5.भारत पर प्रभाव-

*भारत अपनी आवश्यकता का अधिकांश तेल इराक से आयत करता। संघर्ष से तेल की कीमतें बढ जाने से भारत का आयात ऒर अधिक मंहगा हो सकता है।
*देश के चालू खाता घाटे में बढोतरी हो सकती है।
*अनेक भारतीय इराक समेत खाड़ी देश में काम करते है उन्हें रोजगार सम्बन्धी संकट का सामना करना पड़ सकता है।
*विदेशों से आने वाली राशि पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है जिससे चालू खाता घाटा बड सकता है।
*अगर भारत सुन्नियों का समर्थन करता है तो ऐसी ही स्थिति कश्मीर में दोहराई जा सकती है।
*अगर भारत अमेरिका ऒर ईरान की संभावित हमले को समर्थन करता है तो ऐसी कारवाही की मांग भारत के अशांत एरिया में भी की जा सकती है।
*इस घटना का प्रभाव देश के आन्तरिक हालत पर भी पड सकता है। भारत में शिया ऒर सुन्नी दोनों बहुतायत में है जिसमे सुन्नियों की संख्या अधिक हैं।दोंनो में संघर्ष हो सकता है जिससे देश में law and order की समस्या उत्पन्न हो सकती है तथा साम्प्रदायिक सॊहर्द भी प्रभावित हो सकता है।
*भारत के सम्बन्द अरब देशों, इराक ,ईरान एवं अमेरिका सभी से अच्छे है अत:किसी एक का समर्थन अन्य की कीमत पर नहीं किया जा सकता।
*इराक में यदि चरम पंथी बढते है तो इसका प्रभाव अफगानिस्तान एवं पाकिस्तान पर पड सकता है ।एक अशांत पडोसी हमारे लिए खतरे का विषय बन सकता है।

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