आगामी RAS परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण
"राजस्थान के श्रम सुधार"
राजस्थान विधानसभा ने आज औद्योगिक विवाद (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2014 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके अलावा ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) राजस्थान संशोधन विधेयक, कारखाना (राजस्थान संशोधन) विधेयक और प्रशिक्षु अधिनियम भी पारित हो गया है।
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श्रम कानून में संशोधन की तैयारी
श्रम कानूनों में सुधार के लिए कठोर परिश्रम की है दरकार
प्रभारी मंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने औद्योगिक विवाद (राजस्थान संशोधन) विधेयक को सदन में प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्तमान विधेयक में किसी व्यतिगत कर्मकार के हटाने या छंटनी से संबंधित विवादों को उठाने की समय-सीमा निर्धारित नहीं थी। लेकिन इस संशोधन के बाद ऐसे विवादों को उठाने के लिए तीन वर्ष की समय-सीमा निर्धारित की गई है तथा 45 दिन में कार्यवाही करना आवश्यक होगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में किसी भी कारखाने में नियोजित कामगारों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक सदस्य रखने वाले संघ को प्रतिनिधि संघ के रूप में मान्यता थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी प्रकार किसी भी कारखाने में औसतन 100 कामगार रहने की सीमा को बढ़ाकर अब 300 कर दिया गया है। राठौड़ ने बताया कि किसी भी उद्योग से किसी कर्मचारी की छंटनी करने या हटाने पर कर्मचारी को तीन माह के नोटिस के साथ कामगार को तीन महीने के अतिरिक्त वेतन के साथ एक वर्ष में औसत 15 दिन के वेतन के बराबर मजदूरी देनी होगी।
ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) विधेयक को पेश करते हुए प्रभारी मंत्री एवं सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनुस खान ने बताया कि संशोधन श्रमिकों की संख्या को लेकर है, जिसे 20 से बढ़ाकर 50 किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियां अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के नियमानुसार श्रम कानूनों का पूरा ध्यान रखती हैं। वे श्रमिकों के लिए बीमा, स्वास्थ्य, पेयजल, केंटीन जैसी सुविधाएं सुनिश्चित करती हैं। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि संशोधन के बाद यह संभव नहीं होगा कि कोई ठेकेदार 49 के समूह बनाकर इस कानून से बच सके।
इसी तरह कारखाना विधेयक पेश करते हुए उन्होंने कहा यह विधेयक राज्य में निवेश बढ़ाने, रोजगार सृजित करने और उद्योगों के लिए अच्छा माहौल तैयार करने की मंशा से लाया गया है। इस संशोधन विधियेक में शक्ति से संचालित कारखानों में श्रमिकों की संख्या को 10 से 20 करने और बिना शक्ति से संचालित कारखानों में श्रमिकों की संख्या 20 से 40 करने का प्रावधान किया गया है।
खान ने आश्वस्त किया कि श्रमिकों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि कारखाना खोलने वाला कोई भी व्यवसायी हतोत्साहित नहीं हो। उन्होंने कहा कि छोटे और मझोले उद्योग खोलने की प्रक्रिया को सरलीकृत किया जाएगा। इस विधेयक के पारित होने से 3000 छोटे, मझोले और बड़े कारखानों को लाभ मिलेगा।
इसके अलावा विधानसभा में आज प्रशिक्षु (राजस्थान संशोधन) विधेयक को भी मंजूरी मिल गई। विधेयक पेश करते हुए प्रभारी मंत्री एवं शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा कि ताजा संशोधन के तहत स्टेट एप्रेंटिसशिप काउंसिल को यह अधिकार होगा कि वह तय करे कि किस उद्योग में कितने एप्रेंटिस लगें। साथ ही पाठ्यक्रम की अवधि तय करने और किसी विवाद को सुलझाने का अधिकार भी इस काउंसिल के पास होगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में कई बार एप्रेंटिस को न्यूनतम मजदूरी से भी कम मानदेय दिए जाने के मामले सामने आते हैं। संशोधन के बाद इस तरह के मामलों पर भी नियंत्रण रहेगा। यह विधेयक युवाओं में कौशल प्रशिक्षण बढ़ाने, रोजगार बढ़ाने और उद्योगों के लिए अहम साबित होगा।
"राजस्थान के श्रम सुधार"
राजस्थान विधानसभा ने आज औद्योगिक विवाद (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2014 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके अलावा ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) राजस्थान संशोधन विधेयक, कारखाना (राजस्थान संशोधन) विधेयक और प्रशिक्षु अधिनियम भी पारित हो गया है।
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प्रभारी मंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने औद्योगिक विवाद (राजस्थान संशोधन) विधेयक को सदन में प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्तमान विधेयक में किसी व्यतिगत कर्मकार के हटाने या छंटनी से संबंधित विवादों को उठाने की समय-सीमा निर्धारित नहीं थी। लेकिन इस संशोधन के बाद ऐसे विवादों को उठाने के लिए तीन वर्ष की समय-सीमा निर्धारित की गई है तथा 45 दिन में कार्यवाही करना आवश्यक होगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में किसी भी कारखाने में नियोजित कामगारों की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक सदस्य रखने वाले संघ को प्रतिनिधि संघ के रूप में मान्यता थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है। इसी प्रकार किसी भी कारखाने में औसतन 100 कामगार रहने की सीमा को बढ़ाकर अब 300 कर दिया गया है। राठौड़ ने बताया कि किसी भी उद्योग से किसी कर्मचारी की छंटनी करने या हटाने पर कर्मचारी को तीन माह के नोटिस के साथ कामगार को तीन महीने के अतिरिक्त वेतन के साथ एक वर्ष में औसत 15 दिन के वेतन के बराबर मजदूरी देनी होगी।
ठेका श्रम (विनियमन और उत्पादन) विधेयक को पेश करते हुए प्रभारी मंत्री एवं सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनुस खान ने बताया कि संशोधन श्रमिकों की संख्या को लेकर है, जिसे 20 से बढ़ाकर 50 किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बड़ी कंपनियां अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के नियमानुसार श्रम कानूनों का पूरा ध्यान रखती हैं। वे श्रमिकों के लिए बीमा, स्वास्थ्य, पेयजल, केंटीन जैसी सुविधाएं सुनिश्चित करती हैं। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि संशोधन के बाद यह संभव नहीं होगा कि कोई ठेकेदार 49 के समूह बनाकर इस कानून से बच सके।
इसी तरह कारखाना विधेयक पेश करते हुए उन्होंने कहा यह विधेयक राज्य में निवेश बढ़ाने, रोजगार सृजित करने और उद्योगों के लिए अच्छा माहौल तैयार करने की मंशा से लाया गया है। इस संशोधन विधियेक में शक्ति से संचालित कारखानों में श्रमिकों की संख्या को 10 से 20 करने और बिना शक्ति से संचालित कारखानों में श्रमिकों की संख्या 20 से 40 करने का प्रावधान किया गया है।
खान ने आश्वस्त किया कि श्रमिकों के हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि कारखाना खोलने वाला कोई भी व्यवसायी हतोत्साहित नहीं हो। उन्होंने कहा कि छोटे और मझोले उद्योग खोलने की प्रक्रिया को सरलीकृत किया जाएगा। इस विधेयक के पारित होने से 3000 छोटे, मझोले और बड़े कारखानों को लाभ मिलेगा।
इसके अलावा विधानसभा में आज प्रशिक्षु (राजस्थान संशोधन) विधेयक को भी मंजूरी मिल गई। विधेयक पेश करते हुए प्रभारी मंत्री एवं शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा कि ताजा संशोधन के तहत स्टेट एप्रेंटिसशिप काउंसिल को यह अधिकार होगा कि वह तय करे कि किस उद्योग में कितने एप्रेंटिस लगें। साथ ही पाठ्यक्रम की अवधि तय करने और किसी विवाद को सुलझाने का अधिकार भी इस काउंसिल के पास होगा।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में कई बार एप्रेंटिस को न्यूनतम मजदूरी से भी कम मानदेय दिए जाने के मामले सामने आते हैं। संशोधन के बाद इस तरह के मामलों पर भी नियंत्रण रहेगा। यह विधेयक युवाओं में कौशल प्रशिक्षण बढ़ाने, रोजगार बढ़ाने और उद्योगों के लिए अहम साबित होगा।
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