Defence Technology
निर्भय मिसाइल
प्रमुख तथ्य-
1.इसका परीक्षण 17 अक्टूबर 2014 को ओड़िशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत रेंज से किया गया।
2.इसकी मारक क्षमता 1000-1500 किमी. तक है।
3.यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है
4.यह सब -सोनिक मिसाइल है अर्थात् ध्वनि की गति से इसकी रफ्तार कम है। भारत के पास 290 किमी. तक मार करने वाली सुपर सोनिक मिसाइल ब्रह्मोस है।
5. यह एक क्रूज मिसाइल है ना कि बैलिस्टिक मिसाइल ।
[बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों के बीच अंतर क्या है?
बैलिस्टिक मिसाइलों का आकार काफ़ी बड़ा होता है और वो काफ़ी भारी वज़न का बम ले जाने में सक्षम होते हैं. लेकिन उन्हें छोड़े जाने से पहले ही नष्ट किया जा सकता है क्योंकि उन्हें छिपाया नहीं जा सकता. लेकिन एक बार छूट जाने के बाद उन्हें नष्ट करना आसान नहीं होता।
क्रूज़ मिसाइल बहुत छोटे होते हैं और उनपर ले जानेवाले बम का वज़न भी ज़्यादा नहीं होता. लेकिन अपने आकार के कारण उन्हें छोड़े जाने से पहले बहुत आसानी से छुपाया जा सकता है।
बैलिस्टिक मिसाइल अपना इंधन लेकर चलते हैं और उसमें इस्तेमाल होनेवाला ऑक्सीजन भी उनके साथ ही होता है. क्रूज़ मिसाइल भी अपना इंधन लेकर चलते हैं लेकिन ऑक्सीजन वो हवा से लेते हैं।
बैलिस्टिक मिसाइल छोड़े जाने के बाद हवा में एक अर्धचंद्राकर रास्ते पर चलते हैं और जैसे ही रॉकेट के साथ उनका संपर्क खत्म होता है उनमें लगा हुआ बम गुरूत्व के प्रभाव में ज़मीन पर गिरता है. इसलिए एक बार छोड़े जाने के बाद उनके लक्ष्य पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता।
क्रूज़ मिसाइल पृथ्वी की सतह के समांनांतर चलते हैं और उनका निशाना बिल्कुल सटीक होता है।
बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल आमतौर पर परमाणु बमों के लिए ही होता है लेकिन कुछ मामलों में पारंपरिक हथियारों के साथ भी इस्तेमाल हो रहा है. उदाहरण के लिए चीन ने ताइवान के साथ सीमा पर बैलिस्टिक मिसाइल लगा रखे हैं और वो पारंपरिक हथियारों से लैस हैं।
क्रूज़ मिसाइल पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए ही कारगर माने जाते हैं. लेकिन अपने आकार के कारण और कम लागत के कारण उनका प्रयोग पारंपरिक हथियारों के साथ ज़्यादा होता रहा है।
भारत के पास रूसी सहयोग से बना ब्राह्मोस मिसाइल क्रूज मिसाइल की श्रेणी में आता है. पाकिस्तान का दावा है कि उसका बाबर मिसाइल उसकी अपनी तकनीक है लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ये मिसाइल चीनी क्रूज़ मिसाइल की तर्ज़ पर बना है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के अनुसार दोनों देश बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण से पहले एक दूसरे को लिखित जानकारी देंगे।]
6.इसका हवाई संस्करण तैयार किया जा रहा है और इसे एसयू -30 एमकेआइ जैसे लड़ाकू विमानों से दागा जा सकेगा।
7. यह इसका दूसरा परीक्षण था।निर्भय का पहला परीक्षण 12 मार्च को हुवा था लेकिन वह असफल रहा था।
8.इसका निर्माण DRDO द्वारा किया गया है।
9.DRDO के वर्तमान चेयरमैन श्री अविनाश चन्द्र है।
10.इस मिसाइल के तीनों (जल, थल और वायु ) संस्करण तैयार किये जायेंगे।
11.यह कम ऊँचाई पर उडान भरने में सक्षम है जो कि राडार की पकड़ से बाहर होगी।
12.मिसाइल दागो और भूल जावो ( Fire and Forget) पर आधारित है।
13.भारत के पास 290 किमी. तक मार करने वाली सुपर सोनिक मिसाइल ब्रह्मोस है।
14.अगले तीन साल में इसके पांच और परीक्षण किये जायेंगे तत्पश्चात इसे सेना को सौंपा जायेगा
निर्भय मिसाइल
प्रमुख तथ्य-
1.इसका परीक्षण 17 अक्टूबर 2014 को ओड़िशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत रेंज से किया गया।
2.इसकी मारक क्षमता 1000-1500 किमी. तक है।
3.यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है
4.यह सब -सोनिक मिसाइल है अर्थात् ध्वनि की गति से इसकी रफ्तार कम है। भारत के पास 290 किमी. तक मार करने वाली सुपर सोनिक मिसाइल ब्रह्मोस है।
5. यह एक क्रूज मिसाइल है ना कि बैलिस्टिक मिसाइल ।
[बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों के बीच अंतर क्या है?
बैलिस्टिक मिसाइलों का आकार काफ़ी बड़ा होता है और वो काफ़ी भारी वज़न का बम ले जाने में सक्षम होते हैं. लेकिन उन्हें छोड़े जाने से पहले ही नष्ट किया जा सकता है क्योंकि उन्हें छिपाया नहीं जा सकता. लेकिन एक बार छूट जाने के बाद उन्हें नष्ट करना आसान नहीं होता।
क्रूज़ मिसाइल बहुत छोटे होते हैं और उनपर ले जानेवाले बम का वज़न भी ज़्यादा नहीं होता. लेकिन अपने आकार के कारण उन्हें छोड़े जाने से पहले बहुत आसानी से छुपाया जा सकता है।
बैलिस्टिक मिसाइल अपना इंधन लेकर चलते हैं और उसमें इस्तेमाल होनेवाला ऑक्सीजन भी उनके साथ ही होता है. क्रूज़ मिसाइल भी अपना इंधन लेकर चलते हैं लेकिन ऑक्सीजन वो हवा से लेते हैं।
बैलिस्टिक मिसाइल छोड़े जाने के बाद हवा में एक अर्धचंद्राकर रास्ते पर चलते हैं और जैसे ही रॉकेट के साथ उनका संपर्क खत्म होता है उनमें लगा हुआ बम गुरूत्व के प्रभाव में ज़मीन पर गिरता है. इसलिए एक बार छोड़े जाने के बाद उनके लक्ष्य पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता।
क्रूज़ मिसाइल पृथ्वी की सतह के समांनांतर चलते हैं और उनका निशाना बिल्कुल सटीक होता है।
बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल आमतौर पर परमाणु बमों के लिए ही होता है लेकिन कुछ मामलों में पारंपरिक हथियारों के साथ भी इस्तेमाल हो रहा है. उदाहरण के लिए चीन ने ताइवान के साथ सीमा पर बैलिस्टिक मिसाइल लगा रखे हैं और वो पारंपरिक हथियारों से लैस हैं।
क्रूज़ मिसाइल पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए ही कारगर माने जाते हैं. लेकिन अपने आकार के कारण और कम लागत के कारण उनका प्रयोग पारंपरिक हथियारों के साथ ज़्यादा होता रहा है।
भारत के पास रूसी सहयोग से बना ब्राह्मोस मिसाइल क्रूज मिसाइल की श्रेणी में आता है. पाकिस्तान का दावा है कि उसका बाबर मिसाइल उसकी अपनी तकनीक है लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ये मिसाइल चीनी क्रूज़ मिसाइल की तर्ज़ पर बना है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के अनुसार दोनों देश बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण से पहले एक दूसरे को लिखित जानकारी देंगे।]
6.इसका हवाई संस्करण तैयार किया जा रहा है और इसे एसयू -30 एमकेआइ जैसे लड़ाकू विमानों से दागा जा सकेगा।
7. यह इसका दूसरा परीक्षण था।निर्भय का पहला परीक्षण 12 मार्च को हुवा था लेकिन वह असफल रहा था।
8.इसका निर्माण DRDO द्वारा किया गया है।
9.DRDO के वर्तमान चेयरमैन श्री अविनाश चन्द्र है।
10.इस मिसाइल के तीनों (जल, थल और वायु ) संस्करण तैयार किये जायेंगे।
11.यह कम ऊँचाई पर उडान भरने में सक्षम है जो कि राडार की पकड़ से बाहर होगी।
12.मिसाइल दागो और भूल जावो ( Fire and Forget) पर आधारित है।
13.भारत के पास 290 किमी. तक मार करने वाली सुपर सोनिक मिसाइल ब्रह्मोस है।
14.अगले तीन साल में इसके पांच और परीक्षण किये जायेंगे तत्पश्चात इसे सेना को सौंपा जायेगा
![Photo: Defence Technology
निर्भय मिसाइल
प्रमुख तथ्य-
1.इसका परीक्षण 17 अक्टूबर 2014 को ओड़िशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत रेंज से किया गया।
2.इसकी मारक क्षमता 1000-1500 किमी. तक है।
3.यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है
4.यह सब -सोनिक मिसाइल है अर्थात् ध्वनि की गति से इसकी रफ्तार कम है। भारत के पास 290 किमी. तक मार करने वाली सुपर सोनिक मिसाइल ब्रह्मोस है।
5. यह एक क्रूज मिसाइल है ना कि बैलिस्टिक मिसाइल ।
[बैलिस्टिक और क्रूज़ मिसाइलों के बीच अंतर क्या है?
बैलिस्टिक मिसाइलों का आकार काफ़ी बड़ा होता है और वो काफ़ी भारी वज़न का बम ले जाने में सक्षम होते हैं. लेकिन उन्हें छोड़े जाने से पहले ही नष्ट किया जा सकता है क्योंकि उन्हें छिपाया नहीं जा सकता. लेकिन एक बार छूट जाने के बाद उन्हें नष्ट करना आसान नहीं होता।
क्रूज़ मिसाइल बहुत छोटे होते हैं और उनपर ले जानेवाले बम का वज़न भी ज़्यादा नहीं होता. लेकिन अपने आकार के कारण उन्हें छोड़े जाने से पहले बहुत आसानी से छुपाया जा सकता है।
बैलिस्टिक मिसाइल अपना इंधन लेकर चलते हैं और उसमें इस्तेमाल होनेवाला ऑक्सीजन भी उनके साथ ही होता है. क्रूज़ मिसाइल भी अपना इंधन लेकर चलते हैं लेकिन ऑक्सीजन वो हवा से लेते हैं।
बैलिस्टिक मिसाइल छोड़े जाने के बाद हवा में एक अर्धचंद्राकर रास्ते पर चलते हैं और जैसे ही रॉकेट के साथ उनका संपर्क खत्म होता है उनमें लगा हुआ बम गुरूत्व के प्रभाव में ज़मीन पर गिरता है. इसलिए एक बार छोड़े जाने के बाद उनके लक्ष्य पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता।
क्रूज़ मिसाइल पृथ्वी की सतह के समांनांतर चलते हैं और उनका निशाना बिल्कुल सटीक होता है।
बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल आमतौर पर परमाणु बमों के लिए ही होता है लेकिन कुछ मामलों में पारंपरिक हथियारों के साथ भी इस्तेमाल हो रहा है. उदाहरण के लिए चीन ने ताइवान के साथ सीमा पर बैलिस्टिक मिसाइल लगा रखे हैं और वो पारंपरिक हथियारों से लैस हैं।
क्रूज़ मिसाइल पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए ही कारगर माने जाते हैं. लेकिन अपने आकार के कारण और कम लागत के कारण उनका प्रयोग पारंपरिक हथियारों के साथ ज़्यादा होता रहा है।
भारत के पास रूसी सहयोग से बना ब्राह्मोस मिसाइल क्रूज मिसाइल की श्रेणी में आता है. पाकिस्तान का दावा है कि उसका बाबर मिसाइल उसकी अपनी तकनीक है लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ये मिसाइल चीनी क्रूज़ मिसाइल की तर्ज़ पर बना है।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के अनुसार दोनों देश बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण से पहले एक दूसरे को लिखित जानकारी देंगे।]
6.इसका हवाई संस्करण तैयार किया जा रहा है और इसे एसयू -30 एमकेआइ जैसे लड़ाकू विमानों से दागा जा सकेगा।
7. यह इसका दूसरा परीक्षण था।निर्भय का पहला परीक्षण 12 मार्च को हुवा था लेकिन वह असफल रहा था।
8.इसका निर्माण DRDO द्वारा किया गया है।
9.DRDO के वर्तमान चेयरमैन श्री अविनाश चन्द्र है।
10.इस मिसाइल के तीनों (जल, थल और वायु ) संस्करण तैयार किये जायेंगे।
11.यह कम ऊँचाई पर उडान भरने में सक्षम है जो कि राडार की पकड़ से बाहर होगी।
12.मिसाइल दागो और भूल जावो ( Fire and Forget) पर आधारित है।
13.भारत के पास 290 किमी. तक मार करने वाली सुपर सोनिक मिसाइल ब्रह्मोस है।
14.अगले तीन साल में इसके पांच और परीक्षण किये जायेंगे तत्पश्चात इसे सेना को सौंपा जायेगा](https://scontent-b.xx.fbcdn.net/hphotos-xpa1/v/t1.0-9/10628260_298611483677561_7031159019648242804_n.jpg?oh=6af7d7e52c7b8fa9cf30ee2eb889718a&oe=54E0C7F4)
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